कैमरे के सामने केमिस्ट्री अलग होती है शाहिद कपूर

शाहिद कपूर का करिअर काफी डांवाडोल चल रहा है। उनकी एक फिल्म सफल होती है, तो उसके बाद उनकी कई फिल्में एक साथ असफल हो जाती हैं। ”मौसम” की असफलता के बाद अब उनकी फिल्म ‘तेरी मेरी कहानी’ प्रदर्शित हाई  है, जिसको लेकर वह काफी उत्साहित हैं। उनका दावा है कि यह फिल्म उनके करिअर को एक नई दिशा देने वाली है।
आप तो हर फिल्म के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए नजर आते हैं। इसके बावजूद फिल्म  ‘मौसम’  ने बाक्स आफिस पर पानी भी नहीं मांगा?
-बिलकुल सही कहा आपने! मैं ‘मौसम’ के साथ भी पूरी तरह से जुड़ा हुआ था, पर फिल्म कहां गड़बड़ हो गयी, पता ही नहीं चला। मैं अपने काम को लेकर बहुत पैशिनेट हूं। कई बार ऐसा हुआ है कि मैंने फिल्म में काम करते हुए काफी इंज्वॉय किया। पर लोगों ने उसे पसंद ही नहीं किया। फिर भी मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं। ईश्वर ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मेहनत करना मेेरे हाथ में है।  बाकी दर्शकों की मर्जी। पर मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को फिल्म ‘तेरी मेरी कहानी’ जरूर पसंद आएगी।
फिल्म  ‘तेरी मेरी कहानी’  को लेकर क्या कहना चाहेंगे?
-यह एक प्रेम कहानी प्रधान मनोरंजक हास्य फिल्म है। इसमें हल्की-फुल्की कॉमेडी है। यह तीन अलग-अलग पीरियड के तीन अलग-अलग पात्रों की पे्रम कहानी हैं।
जब आपको पता चला कि इस फिल्म में तीन अलग-अलग पीरियड के पात्र हंै। तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी ?
-कुणाल कोहली ने जब मुझसे इस फिल्म को लेकर चर्चा की थी, उस वक्त उनके दिमाग में एक छोटा सा विचार था। हमारे यहां शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है यानी कि सात अलग-अलग जन्मों में भी वह दोनों पति-पत्नी रहेंगे। इसी बात को लेकर कुणाल कोहली ने सोचा क्यों ना हम एक कहानी बताएं, जिसमें कम से कम तीन अलग-अलग पीरियड हों और पीरियड के अनुसार अलग-अलग कल्चर, अलग अलग पृष्ठभूमि में हम दिखाएं। आजादी से पहले वक्त समाज की भी स्थितियां काफी गंभीर थीं। पर हमारा जो 1910 का जावेद का पात्र है, वह गंभीर किस्म का नहीं है। उसे थोड़ा सा अलग पेश किया है। 1960 काफी रोचक पीरियड था। देव साहब का जलवा था। ‘तीसरी मंजिल’ सहित देव आनंद की सभी फिल्में बहुत रोचक हुआ करती थीं। तो मुझे लगा कि उस काल की हमारी फिल्म का यह भाग काफी रोचक और अलग होगा। इसके बाद 2012 का काल है, जो कि वर्तमान समय की बात है। तो यह तीनों रोचक पे्रम कहानियंा हैं।  एक तरह से हमने एक ही फिल्म में तीन किरदार निभाए हैं। यह सिर्फ मेरे लिए ही नहीं ,बल्कि प्रियंका चोपड़ा के लिए भी सबसे बड़ी चुनौती थी।
फिल्म ‘तेरी मेरी कहानी’ में आपका किरदार पुनर्जन्म पर आधारित है और आप पुनर्जन्म वाली फिल्म नहीं करना चाहते थे?
-यह सच है कि मैं पुनर्जन्म पर आधारित फिल्में करने में कोई रुचि नहीं रखता। पर कुणाल कोहली ने मुझे आश्वस्त किया कि यह एक रोमांटिक कॉमेडी वाली फिल्म है।
जावेद कादरी का किरदार निभाना  कितना आसान रहा ?
-मंैने फिल्म ‘ फना ‘ में आमिर खान को शायरी पढ़ते हुए देखा था और जब कुणाल कोहली ने मुझसे कहा कि मुझे जावेद के किरदार को निभाते हुए शायरी पढऩी है, तो मुझे आमिर खान की याद आ गयी और मैं काफी नर्वस हो गया था। तब कुणाल ने मुझसे कहा कि वह इस किरदार को यथार्थपरक तरीके से निभाने के लिए आसान रास्ता खोजेंगे। मेरा मानना है कि 1910 का मेरा जावेद का किरदार ठंडे दिमाग का होते हुए भी बहुत ही घटिया पात्र है। क्योंकि उस काल में हर कोई बहुत अच्छे तरीके से व्यवहार किया करता था।  पर मुझे इस किरदार को निभाने में मजा आया। क्योंकि वह शायरी करते हुए, जो चाहता था, वह कर लेता था। वह किसी भी लड़की के साथ छेड़खानी भी कर लेता है। जो कि मैं अपनी निजी जिंदगी में कभी नहीं कर सकता और न ही करना चाहूंगा। फिर मैंने अपने अब तक के करिअर में पहली बार किसी मुस्लिम पात्र को निभाया है।
इस फिल्म में आपकी जोड़ी प्रियंका चोपड़ा के साथ है। जबकि आप तो प्रियंका के साथ काम ही नहीं करना चाहते थे ?
-लेकिन इस फिल्म के पात्र में प्रियंका चोपड़ा ही उपयुक्त थी। मैं तो पहले से ही इस फिल्म के साथ जुड़ चुका था। कुणाल कोहली को लगा कि इस किरदार में प्रियंका चोपड़ा से बेहतर कोई कलाकार हो ही नहीं सकता, तो उन्होंने प्रियंका को इस फिल्म के साथ जोड़ा। फिल्म की शूटिंग के दौरान हमारे बीच कभी कोई असहजता नहीं रही। हम दोनों ने एक अच्छे प्रोफेशनल कलाकार की तरह काम किया। वैसे पहले मैंने उनके साथ फिल्म ‘कमीने’ की थी, जिसमें उनके साथ मेरे सिर्फ आठ सीन ही थे।
प्रियंका चोपड़ा के साथ यह दूसरी फिल्म है। इस बार क्या अनुभव रहे?
-जब मैंने फिल्म ‘कमीने’ में प्रियंका चोपड़ा के साथ काम किया था, तब फिल्म की शूटिंग से पहले हम एक दूसरे को जानते नहीं थे। लेकिन फिल्म ‘ कमीने ‘ में हमारी केमिस्ट्री बहुत जबरदस्त रही। क्योंकि कैमरे के सामने पहुंचते ही हम दोनों अपने-अपने चरित्रों में होते थे। ‘कमीने’ एक पूरी तरह से डार्क फिल्म थी जबकि  ‘तेरी मेरी कहानी’ ठीक उसके विपरीत पूरी तरह से कमर्शियल फिल्म है। यह अलग तरह की फिल्म है। जब फिल्म का विषय अलग हो, चरित्र अलग हों और निर्देशक अलग हो, तो दो कलाकारों में भी फर्क नजर आता ही है।
आपको नहीं लगता कि आपको भी हार्ड कोर एक्शन फिल्म करनी चाहिए ?
-मैं हार्ड कोर एक्शन फिल्म कर रहा हूं। पर अभी उस पर बात नहीं कर सकता। लेकिन इतना दावा है कि ‘ तेरी मेरी कहानी ‘ के बाद मेरी जो फिल्में प्रदर्शित होने वाली हैं, उनमें एक हार्ड कोर एक्शन फिल्म भी है।

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